भारत रत्न से सम्मानित डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय और जयंती | Dr Bhim Rao Ambedkar Biography, 2023 Jayanti In Hindi

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डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय और जयंती | Dr Bhimrao Ambedkar History and 2023 Ambedkar Jayanti In Hindi

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Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi– भारत की मातृभूमि पर जब- जब अधर्म ने अपनी जगह बनाई तब-तब उस अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म को कायम रखने के लिए ईश्वर के अवतार में मनुष्य जन्म लेते हैं। जब अंग्रेजों के शासनकाल था, तब उस समय भी गलत विचारधारा के लोग इस मातृभूमि को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करने के बजाय मानव-मानव में जाति के आधार पर भेदभाव करने से नहीं चूकते थे।

ऐसी गलत विचारधारा के लोगो का विरोध कर दलितों को सम्मान दिलाने और उनके अधिकार के लिए और भारत की आजादी को सही दिशा-निर्देश देने के लिए ईश्वर रूपी महामानव डॉ .भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ जिन्हे आज ये दुनिया बाबा साहेब के नाम से भी जानती है । उन्होंने भारत की दिशा ही बदल दी और आज भी दलित लोग इन्हे भगवान की तरह पूजते है।

डॉ भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, न्यायविधिक और एक महान समाज सुधारक थे जो एक प्रसिद्ध राजनेता के रूप में उभर के आये। उन्होंने कई सामाजिक बुराइयों को खत्म करने और दलित व पिछड़ी जाति के लोगो के अधिकारों की रक्षा करने के प्रयास किये उन्होंने छुआछूत जैसी कुरीतियों को और अशिक्षा और गरीबी को और कई सामाजिक समस्याओं को खत्म करने के लिए संघर्ष किये।

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भारत रत्न सम्मान से सम्मानित-

पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को नियुक्त किया गया था। उनकी उपलब्धियों एवं मानवता के लिए उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरान्त देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित किया किया गया था।

डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय (Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi)

क्रमांकजीवन परिचय बिंदुडॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
1.पूरा नाम-डॉ भीम राव अम्बेडकर
2.वास्तविक नाम –अम्बावाडेकर
3.प्रसिद्ध नाम –बाबा साहेब
4.जन्म –14 अप्रैल 1891
5.जन्म स्थान –महू, इंदौर, मध्यप्रदेश
6.पिता का नाम –रामजी मालोजी सकपाल
7.माता का नाम –भीमाबाई मुरबादकर
8.भाई का नाम –बलराम, आनंदराव
9.बहिन का नाम –मंजुला और तुलसा
10.पत्नी का नाम –रमाबाई (1906) और डॉ. शारदा कबीर
11.पुत्र का नाम –यशवंत
12.राष्ट्रीयत –भारतीय

डॉ बी आर अंबेडकर का बचपन और प्रारंभिक जीवन (Earlier Life of Dr. B R Ambedkar)-

डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को राज्य मध्य प्रदेश गाँव महू में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में सूबेदार मेजर थे तथा उस समय म्हो छावनी में तैनात थे।

उनकी माता- भीमाबाई मुरबादकर और पिता- रामजी मालोजी सकपाल की 14 संतान थी, जिनमे बाबा साहेब 14 भाई बहनो में सबसे छोटे बेटे थे। पिता के रिटायरमेन्ट के बाद 1894 में उनका परिवार महाराष्ट्र के सतारा में चला गया।

भीमराव की माता की मृत्यु के बाद परवरिश किसने संभाली?

1896 में जब भीमराव की माता की मृत्यु हो गई तो उनकी परवरिश उनकी चाची ने संभाल ली परन्तु उन्हें कई आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ा, कुछ समय बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका पूरा परिवार मुंबई रहने चला गया। वही अम्बेडकर जी की पढाई भी हुई और फिर जब वर्ष 1905 में वो 15 वर्ष के हुए तब उनका विवाह 9 वर्ष की रमाबाई से हो गया। 1912 में उनके पिता रामजी सकपाल जी भी गुजर गए।

उनका का परिवार हिन्दू धर्म की महार जाति से सम्बन्धित था, उस समय के कुछ लोग उन्हें अस्पृश्य समझकर उनके साथ भेदभाव एवं बुरा व्यवहार करते थे। यही कारण है कि भीमराव को भी बचपन में भेदभाव का शिकार होना पड़ा, वर्ष 1907 में जब उन्होंने अच्छे अंको के साथ मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली , तो बड़ौदा के महाराजा सयाजी राव गायकवाड़ ने प्रसन्न होकर उन्हें 25 रुपये मासिक छात्रवृत्ति देना प्रारम्भ किया।

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डॉ बी आर अंबेडकर की शिक्षा (Education of Dr. B R Ambedkar)-

वर्ष 1908 में उन्होंने 12 वी की परीक्षा पास की। भीमराव एक हिन्दू मेहर जाति के थे और उन्हें छुआछूत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था ऊँची जाति के लोग उन्हें छूना भी पाप समझते थे। अम्बेडकर जी जब आर्मी स्कूल में पढ़ते थे तब वहां भी उन्हें इस भेदभाव का शिकार होना पड़ा उनके दलित वर्ग के दोस्तों को कक्षा में आने की अनुमति नहीं थी और उन्हें और उनके दोस्तों को पानी को छूने भी नहीं दिया जाता था।

डॉ भीमराव अम्बेडकर ने बी ऐ किस विषय में की थी?

स्कूल का चपरासी उन्हें दूर से पानी डालकर देता था और जिस दिन कभी चपरासी नहीं आता था उस दिन उनको पानी तक नहीं मिलता था। भेदभाव का ऐसा व्यव्हार देखकर अम्बेडकर जी ने निर्णय लिया की वे दलित लोगो के अधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष करेंगे। उसके बाद वर्ष 1912 में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में बी ए करने के बाद बड़ौदा महाराज ने उन्हें अपनी फौज में उच्च पद पर नियुक्त कर दिया।

डॉ भीमराव अम्बेडकर ने नौकरी से त्यागपत्र कब दिया?

अपने पिता की मृत्यु के बाद वर्ष 1913 में उन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और उच्च शिक्षा हेतु बाहर विदेश पढ़ने के लिए चले गए। बड़ौदा के महाराज सयाजी राव गायकवाड़ ने उनके इस फैसले से प्रसन्न हुए और उनके त्यागपत्र को स्वीकार कर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए उन्हें 25 रुपये मासिक छात्रवृत्ति भी देना प्रारम्भ किया। इसके बाद वर्ष 1915 में भीमराव अमेरिका चले गए, जहाँ न्यूयॉर्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय से उन्होंने एम ए तथा वर्ष 1916 में उन्होंने पी एच डी की उपाधि प्राप्त की।

अम्बेडकर का दलितो को उनका अधिकार दिलाना-

वर्ष 1917 में वे कोल्हापुर के शासक शाहजी महाराज से मिले और उनकी आर्थिक सहायता से मूक नायक नामक पाक्षिक पत्र निकालना शुरू किया, जिसका उद्देश्य था दलितो को उनका अधिकार दिलाना।

पी एच डी की डिग्री प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वर्ष 1923 में वे इंग्लैण्ड चले गए और वहाँ लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में उन्होंने डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। क़ानूनी व्यवसाय में उन्होंने बार एट लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1923 में अम्बेडकर अपने देश लोट गए और मुंबई उच्च न्यायालय में वकालत करना शुरू किया।

वकालत करते समय भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके साथ भेदभाव किया जाता था। कोई वकील उन्हें छूना तो दूर उनके पास भी नहीं जाता था उन्हें कोर्ट में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं देते थे। जब उन्हें एक हत्या का मुकदमा मिला ,तो सभी बैरिस्टर ने उस केस को करने से मना कर दिया परन्तु अम्बेडकर ने इस केस की अच्छे से पैरवी की और जज ने उनके पक्ष में निर्णय दिया। इस मामले के बाद सभी लोग अम्बेडकर जी का सम्मान करने लगे।

डॉ भीमराव अम्बेडकर राजनैतिक सफ़र (Dr. B R Ambedkar Political Life)-

बचपन से ही अम्बेडकर जी के साथ अपनी जाति के प्रति भेदभाव हो रहा था इससे उनको बहुत अपमान सहना पड़ता था इसी कारण उन्होंने इसका विरोध करने का निर्णय लिया और संघर्ष करने के लिए वर्ष 1927 में उन्होंने ‘बहिष्कृत भारत’ नामक एक मराठी पाक्षिक समाचार – पत्र निकालना शुरू किया, जिसका उद्देश्य दलित लोगो के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सम्मान दिलाना और शोषण से बचाना था।

कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपनी ओर आकर्षित करना-

इस पत्र के निकलने के बाद बम्बई के गवर्नर अम्बेडकर जी के विचारो से प्रभावित हुए और उन्हें विधानपरिषद् के लिए चुना गया और वर्ष 1937 तक वे बम्बई विधानसभा के सदस्य बने रहे थे ।

भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के साथ हो रहे शोषण का कठिन संघर्ष किया। उस समय उच्च वर्ग के लोग दलितों को अछूत मानकर मन्दिरों में प्रवेश नहीं करने देते थे। इसीलिए अम्बेडकर जी ने दलितों को भी मन्दिरों में प्रवेश दिलाने के लिए सत्याग्रह किया। वर्ष 1980 में उन्होंने नासिक के कालाराम मन्दिर में प्रवेश दिलाने के लिए 30 हजार दलितों के साथ सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में उच्च वर्ग के लोगो ने लाठिया चला दी जिससे कई लोग घायल हो गए परन्तु फिर भी किसी ने हार नहीं मानी और आखरी दम तक अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और अंत में अम्बेडकर जी ने सभी को मंदिर में जाने की अनुमति दिला दी और इस घटना के बाद सभी लोग ‘ उन्हें बाबा साहब ‘ कहने  लगे।

इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी की स्थापना कब की गयी?

अम्बेडकर जी ने कट्टरपन्थियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए दलित एवं अछूत समझे जाने वाले लोगों की भलाई के लिए वर्ष 1935 में  ‘इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी’ की स्थापना की। जिससे उन्हें गवर्नमेण्ट लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य का पद हासिल हुआ। जब वर्ष 1937 में बम्बई में चुनाव की प्रक्रिया हुई तो अम्बेडकर जी की पार्टी को पन्द्रह में से तेरह स्थानों पर सफलता मिली और कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू एवं सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे बड़े नेता भी अम्बेडकर की विचारधारा से प्रभावित हुए।

वायसराय की रक्षा परामर्श समिति की सदस्यता के लिए वर्ष 1941 में अम्बेडकर को इस समिति का सदस्य बनाया गया। कुछ समय बाद वर्ष 1944 में वापस वायसराय ने एक्जीक्यूटिव काउंसिल बनाई और श्रम सदस्य के रूप में डॉ. अम्बेडकर नाम चुनकर उन्हें सम्मानित किया गया।

15 अगस्त, 1947 को जब भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई हुआ, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार बनी और उसमे स्वतन्त्र भारत का पहला कानून मन्त्री डॉ भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया। फिर उन्हें भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कब घोसित गया ?

भारत के संविधान को बनाने में अम्बेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है इसी कारण उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता भी कहा जाता है । उनकी मृत्यु के बाद वर्ष 1990 में डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

डॉ भीमराव अंबेडकर का बौद्ध धर्म स्वीकार करना (Dr. B R Ambedkar & Buddhism)-

डॉ भीमराव अम्बेडकर सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। वे हिन्दू धर्म के विरुद्ध नहीं थे बल्कि वे सभी लोगो को समान अधिकार दिलाना चाहते थे और भेदभाव जैसी बुराइयों को दूर करना चाहते थे जब उन्हें ये समझ आ गया की उच्च वर्ग के लोगो के रहते हुए पिछड़े एवं दलितों को उनका अधिकार नहीं मिल सकता है तो उन्होंने धर्मपरिवर्तन करने का निर्णय ले लिया और उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को दशहरे के दिन करीब दो लाख लोगों के साथ नागपुर में एक विशाल समारोह में बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

डॉ भीमराव अम्बेडकर की म्रत्यु कब हुई? (Dr. B R Ambedkar Death)-

बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध डॉ. भीमराव आम्बेडकर एक महान्, समाज सुधारक, शिक्षाविद् क्रांतिकारी, योद्धा एवं दलित राजनेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के साथहो रहे अन्याय,छुआछूत, शोषण,ऊँच-नीच तथा असमानता का विरोध करने में लगा दिया।

6 दिसम्बर 1956 को भारत के इस महान् सपूत एवं दलितों के मसीहा का निधन हो गया। अम्बेडकर ने बहुत हद तक दलितोको उनका अधिकार दिलाकर उन्हें सम्मान से जीवन जीना सिखाया। आज समाज में जो छुआछूत की बुराई कम हुई है तो इसका सबसे ज्यादा योगदान अम्बेडकर को ही जाता है। अम्बेडकर के इस योगदान का पूरी मानव जाती सम्मान करती है।अम्बेडकर जी आज दुनियाभर के लिए दलितों के मसीहा और समाज के महामानव है।

डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा लिखी गयी कुछ किताबे (Dr Bhimrao Ambedkar Some Books)

अपने जीवनकाल में अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उन्होंने कई पुस्तके लिखी है, जिनमें से कुछ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं –

Ambedkar some boks, डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा लिखी गयी कुछ किताबे, भारत का राष्ट्रीय अंश, शूद्र कौन और कैसे

अम्बेडकर जयंती 2021, 2022, 2023, 2024 व 2025 में कब है? (Dr. B R Ambedkar jayanti 2023 date)-

वर्षदिनांकवारजयंती का नाम
202114 अप्रैलबुधवारडॉ अम्बेडकर जयंती
202214 अप्रैलगुरुवारडॉ अम्बेडकर जयंती
202314 अप्रैलशुक्रवारडॉ अम्बेडकर जयंती
202414 अप्रैलरविवारडॉ अम्बेडकर जयंती
202514 अप्रैलसोमवारडॉ अम्बेडकर जयंती

आखरी शब्द-

डॉ भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय हिंदी में (Dr Bhimrao Ambedkar History In Hindi) पढ़ कर केसा लगा हमें आशा हे की आप को इस से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा अगर आप का कोई सुझाव है तो हमें नीचे कमेंट में अपना सुझाव जरूर बताये और “Bhimrao Ambedkar History In Hindi” इसे ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करे ताकि उन्हें भी ऐसी जानकारी मिल सकते।

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