26 विक्रम और बेताल की कहानियां | इतिहास | Vikram Betal Stories

विक्रम बेताल की कहानियाँ

कहानियो में कहानिया विक्रम बेताल की कहानियां:

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हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां और उसका इतिहास की जानकारी इस पोस्ट में देंगे। प्रारंभिक कहानी की शुरुआत कुछ इस तरह की है। वर्षो पहले की बहुत समय पुरानी बात है। उज्जैन राज्य में राजा विक्रामादित्य का राज था । पुरे जगत में राजा विक्रामादित्य की न्याय,कर्तव्य निष्ठता और दानशीलता की बातें हूआ करती थी वे देश में मशहूर प्रसिद थे। इसी कारण दूर-दूर से लोग उनके दरबार में अपना न्याय मांगने आया करते थे। राजा पतिदिन अपने दरबार में लोगों की समस्या को सुनते थे और उनका समाधान किया करते थे।

विक्रम बेताल की प्रारंभिक कहानी

विक्रम बेताल की कहानियाँ

एक समय की बात है। राजा का राजदरबार लगा हुआ था। तभी एक याचक राजा के दरबार में उनके सामने उपस्थित होता है और एक फल राजा विक्रामादित्य को देकर चला जाता है। राजा विक्रामादित्य उस फल को अपने अनुयाही को दे देता है। उस दिन के बाद से हर रोज वह याचक राजा विक्रामादित्य के राजदरबार में आने लगता हे । उसका पतिरोज का काम यही था वह राजाविक्रामादित्य को फल देता और वहा से चुपचाप निकल जाता था । राजाविक्रामादित्य भी हर रोज उस याचक द्वारा दिया गया फल अपने अनुयाही को थमा देते थे । ऐसा करीब करते हुए 10 साल निकल गए |

विक्रम बेताल का इतिहास:

एक दिन जब याचक राजाविक्रामादित्य के राजदरबार में आकर फल प्रदान करता है तो इस बार राजा फल अपने कर्मचारी को न देकर वहां उपस्थित एक बंदर के बच्चे को देता हैं। वह बंदर किसी कर्मचारी का था | जो उस कर्मचारी के हाथ से छूट कर राजाविक्रामादित्य के पास आ उपस्थित हो जाता हे |
बंदर उस फल को खाने की कोशिश करता हे तो फल के बीच में से एक बहुमूल्य मणिरत्न निकलता है। उस मणिरत्न की चमक को देखकर दरबार में उपस्थित सभी लोग हैरान हो जाते हैं। राजाविक्रामादित्य भी आश्चर्यचकित में पड़ जाते है। राजाविक्रामादित्य अपने अधिकारी को सभी फलों के बारे में उनसे पूछते हे |

राजाविक्रामादित्य के पूछने पर कर्मचारी राजा को बोलता हे की महाराज सभी फलों को मेने अपने राज के राजकोष में सुरक्षित रखे है। मैं अभी जाकर उन सभी फलों को अभी लेकर आपके सामने आता हूं। कुछ समय बाद कर्मचारी राजाविक्रामादित्य के सामने आता हे और आकर बोलता हे की महाराज सभी फल तो सड़-गल ख़राब हो गए हैं। उनके जगह पर बेसकीमती मणिरत्न बचे हुए हैं। यह बात सुनकर राजाविक्रामादित्य बहुत प्रसन्न होते है और कर्मचारी को सारे बेसकीमती मणिरत्न सौंप देते है।

याचक फल लेकर दोबारा महाराजविक्रमादित्य के राजदरबार उपस्थित होता है, तो महाराज कहते है। ये याचक आप मुझे पहले ये बताने की कृपा करे तब ही में आपका फल ग्रहण करूंगा अन्यथा नहीं, जब आप हमे ये नहीं बताते कि प्रतिदिन आप इतनी बहुमूल्य भेंट मुझे ही क्यों देते हो?

महाराजविक्रमादित्य की बात सुन याचक बोलता हे की महाराज आप एक बार मेरे साथ एकांत जगह पर आ सकते हो महाराज उनकी बात मान कर उनके साथ एकांत जगह पर चल देते है। एकांत में ले जाकर याचक महाराज से बोलता हे की मुझे मंत्र साधना करनी हैं और उसके लिऐ एक वीर पुरुष की मुझे आवश्कता है।इसलिए मुझे आपसे अलावा कोई वीर दूसरा नहीं मिल सकता हे | इसलिए बहुमूल्य भेंट आपको दे जाता हूं।

राजा उस याचक को वचन देते हैं सहायता का याचक महाराज को बताता है कि अगली अमावस्या की रात को उसे अपने पास के श्मशान घाट में उनको आना होगा।

याचक मंत्र साधना की तैयारी वहाँ करेगा। इतनी बात महाराज को बता कर याचक वहां से निकल जाता है।

हिंदी कहानियां विक्रम और बेताल

महाराज को अमावस के दिन याचक की बात याद आती है और अपने दिए गए वचन के मार्ग का पालन करते हुए श्मशान घाट पहुंच जाते हैं। खुश होता है महाराज को देखकर याचक और कहता है कि राजा विक्रमादित्य आपको अपना वचन याद रहा आप यहां आए आप महाराज पूर्व दिशा में चले जाओ वहां पर एक महाश्मशान आपको मिलेगा। उस जगह एक पेड़ होगा शीशम का विशाल उस पेड़ पर एक मुर्दा मटका हुआ है उस मुर्दे को आप मेरे पास लेकर आना। याचक की बात मानकर महाराज उस पूर्व दिशा में उस मुर्देको लेने चले जाते हैं।

विशाल पेड़ के ऊपर एक मुर्दा लटका हुआ राजा को दिखाई देता है। महाराज तलवार निकालते हैं और बंदी रसीद को काट देते हैं रस्सी के कटते ही मुर्दा नीचे गिरता है और जोर से चीखने की आवाज आती है। इसी दर्द भरी आवाज को सुनकर महाराज को लगता है कि यहां कोई मुद्दा नहीं है उसकी जगह कोई जिंदा मनुष्य है। मुर्दा जोर से हंसता है और फिर पेड़ पर जा कर लटक जाता है।

महाराज समझ जाते हैं कि मुर्दे पर बेताल चढ़ा है काफी बार कोशिश करने के बाद राजा बेताल को पेड़ से नीचे उतार कर अपने साथ कंधे पर टांग लेते हैं। बेताल राजा विक्रमादित्य से कहता है कि कि महाराज आपके एहसान को मैं मान गया हूं आप बड़े पराक्रमी शूरवीर है। बेताल कहता है कि मैं आपके साथ चलता हूं मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि पूरे रास्ते में आप कुछ भी नहीं बात करेंगे महाराज बेताल की बात को स्वीकार कर लेते हैं।

बेताल महाराज से कहता है कि रास्ता बहुत लंबा है इसलिए आप इस रास्ते को रोमांच बनाने के लिए मैं आपको एक प्यारी सी कहानी सुनाता हूं।

विक्रम बेताल की कहानियां

यहां से शुरुआत होती है महाराज विक्रमादित्य योगी और बेताल कहानी की।

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FAQ

Q: विक्रम और बेताल की कितनी कहानियां हैं?

A: 25 कहानियां

Q: विक्रम और बेताल की असली कहानी क्या है?

A: बेताल पच्चीसी

Q: विक्रम बेताल की पहली कहानी?

A: पापी कौन है?

Q: विक्रम बेताल की अंतिम कहानी?

A: भिक्षु शान्तशील की कथा

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