
राजकुमारी का पति कौन: राजा बेताल को अपने साथ ले जाने में बहुत बार असफल रहे, लेकिन राजा ने कभी हार नहीं मानी. इस बार भी बेताल को अपने साथ लेकर वो और आगे बढ़ने लगते हे।
इस बार भी बेताल राजा को बोलता है कि राह बहुत लम्बी है. आप मेरी कहानी सुनो।जानिए आप वो क्या कहानी थी और राजा ने उस कहानी को सुनकर क्या जबाव देते है . उस बेताल के सवाल का।बहुत वर्षो पुरानी बात है, उदयपुर विरासत में एक महाराजा राज करता था। उसका नाम प्रताप और उसकी धर्मपत्नी का का नाम कमला था। उन दोनो की एक संतान थी उस संतान का नाम दुर्गा था।
एक समय की बात हे दुर्गा अपनी सखियों और अपने महल के मंत्रियों के साथ राज्य की हालचाल जानने के लिए राज के बाहर घूमने निकली है। राज्य में भर्मण करने के साथ-साथ वह अपनी प्रजा के निर्धन लोगो को कुछ आर्थिकभेंट भी दे रही होती हैं। उसी समय एक व्यक्ति राजकुमारी के पास आता है और राजकुमारी को एक खूबसूरत उपहार देता हे और राजकुमारी उस उपहार को खोलकर देखती हे उस उपहार में एक चमकतीसाड़ी होती है। राजकुमारी को उस चमकतीसाड़ी को देखकर बहुतप्रसन्न हुई।
राजकुमारी ने उस महाशय से पूछा, “आप ने यह चमकतीसाड़ी कहां से खरीदी हैं? यह साड़ी बहुत चमक रही है।इतने में राजकुमारी के साथ आये एक मंत्री ने बोला, “यह चमक रही साड़ी उन्होंने बनाई है। यह राज के बहुत अच्छे जाने माने साड़ियों के कारीगर हैं। राजकुमारी अपने मंत्री की बात सुनकर हैरान हो जाती हैं। राजकुमारी ने उस पुरूष से बोला की मुझे ओर भी देखनी आपके द्वारा तैयार की गई ओर भी चमकती साड़ियों को देखने की बहुत हे। वह पुरुष अपने आप मे बहुत खुशनसीब मानता है, और वह राजकुमारी को बोलता है कि आपको मेरे साथ मेरे घर चलना होगा और वह राजकुमारी को चलने के लिए बोलता है। राजकुमारी ने उस पुरूष का कहना स्वीकार करती है और उस पुरुष के साथ उसके घर जाकर वह चमकते हुए वस्त्र देखती है।
दूर्गा को बहुत ख़ुशी होती है और उस पुरुष को बोलती है, “मेरा मन कह रहा है की मुझे इसी जगह रुक जाना चाहिए और आप से यह कला सीखनी चाहिये और सीखूं। इतना बात उस पुरुष को बोलने के बाद राजकुमारी अपनी बाकी नगर की यात्रा करने के लिए वहा से फिर निकल पड़ती है।
राजकुमारी उस पुरुष के वहा से थोड़ी आगे निकलती हे और आगे से एक ओर महाशय आते हे और उस महाशय ने राजकुमारी और उनकी सखियों को बोलता है कि आगे एक पेड़ के नीचे शेर है।राजकुमारी चौंककर रह जाती है ओर उस महाशय से पूछती है ।“आपको इस बात का कैसे पता चला?क्या आपने उस शेर को देखा है? उस महाशय ने बोला कि,नहीं राजकुमारी। इस बात की ख़बर अपने इस पक्षी दोस्त ने बताई मेरे को। एक बार फिर राजकुमारी विचार में पड़ जाती है, उस महाशय से उन्होंने बोला, “क्या महाशय आप पक्षियों से बातें करते हो ओर उनकी भाषा जानते हो?” तो वह महाशय राजकुमारी को उसके उस सवाल का जवाब देते हुये कहते है कि उसे खग, पशू, और जलज में रहने वाले सभी प्राणियो की भाषा आती है।
राजकुमारी का सर्वश्रेष्ठ वर कौन भाग- 9
राजकुमारी उस महाशय की बात सुनकर बहुत खुश होती हैं। और उन खग और पशूओ की वाणी सीखने के बारे में अपनी रुचि का खयाल करती हे ओर उस महाशय को अपने राजमहल में आने के लिए न्यौता देती हैं। वह महाशय दुर्गा से कहते है कि ये खग और पशूओ का ही उनका घर है, वो सब राजमहल मे कैसे आ सकते हैं। राजकुमारी ने उस महाशय की बात पर विचार किया ओर उस महाशय की बात का समान करती है ओर कहती हे कि, “कभी हमे समय मिला तो भविष्य में तो हम आपके पास आएंगे इन खग ओर जानवरों की वाणी सीखने के लिऐ।”
राजकुमारी उस महाशय से इतना बोलकर वह आगे की तरफ बढ़ जाती है।राज्य बहुत बड़ा था ओर उनकी यात्रा भी लंबी थी। नगर का भर्मण करते-करते राजकुमारी की हालात पतली होने लगती हे। राजकुमारी को उसके मंत्री अपने राज्यमहल के वैध के पास लेकर जाते है। राज के उस वैध ने राजकुमारी को वहीं ठहरने को बोला और जड़ी-बूटी खिलाई। राजकुमारी ने दी गई जड़ीबूटी खाई ओर वही थोडी देर रुक गई । उस जड़ीबूटी के खाने से कुछ ही समय में राजकुमारी की हालत ठीक हो गईं। राजकुमारी ने उसको धन्यवाद दिया।
वहां पर ओर भी बैठे हुये थे मरीजों ने उस के बारे में राजकुमारी को बहुत अच्छी अच्छी कई बातें बताई कि थी वो उन सब की किस तरह से उनका ईलाज करते था। और उनकी दि गई जड़ीबूटीओ से वहाँ की जनता ठीक हो जाती थी। ये सब बातें राजकुमारी ने सुनकर वैध से बोलती हे, “आप तो बहुत ही अच्छा और नेक भलाई का काम करते रहते हो। मेरा भी दिल कहता है कि मैं भी अपनी राज की जनता की ऐसे ही भलाई की सेवा करती रहू।” ओर इतना कहकर वहा से नगर भमण के लिये निकल लेती हैं।राजकुमारी वहा से कुछ ही थोड़ी दूर जाती हे तभी उनका एक पाँव जानवरों के एक जाल में जाकर फंस जाता है। राजकुमारी उसी समय अपनी मदद के लिए रोज से आवाज लगाती है। राजकुमारी की सखियां और उनके मंत्री भी मदद के लिए वहा लोगो को आवाज लगाते है।
इतने में एक साहसी ताकवर पुरुष आता है ओर वह अपनी बुद्धि और तलवार से राजकुमारी को उस जाल से बाहर निकालता है। राजकुमारी की जान में जान आती है और बहुत खुश किस्मत मानती है अपने को की वह आज बच गई और खुश होती हे और उसने उस वीरपुरूष को धन्यवाद देती है। उस पुरूष को साथ ही उससे फिर से मिलने की मन की बात बता कर वहां से निकल जाती है।उस के बाद राजकुमारी अपने लंबे नगर भमण के बाद अपने राजमहल में लौट आती है। राजमहल लौटने के बाद राजा अपनी दुर्गा बेटी को कहते है कि अपने आसपास के राज्यों से राजाओं ने अपने राजकुमारों के रिश्ते के प्रताव भेजे हैं।
राजकुमारी दुर्गा ने अपने पिताश्री की बात सुनने के बाद अपने पिता से कहा कि मुझे कोई भी राजा या राजकुमार नहीं चाहिये मुझे तो कोई साधारण सा पुरुष चाहिए। राजकुमारी ने उन्होंने अपने पिता से कहा, “मैंने इस राजभर्मन में एक बात यह भी जानी कि कोही भी साधारण पुरुष भी बहुत बुद्धिमानीवाला, साहसी और नेक हो सकता हैं। ओर इसलिए मुझे भी कोई साधारण पुरुष ही अपने पतिदेव के रूप में चाहिए पिताश्री।” राजा ने बेटीदुर्गा की बात सुनने के बाद उस बात को मानकर अपने राज में बेटी के उस स्वयंवर की घोषणा की। उस स्वयंवर की बात पूरी प्रजा के अन्दर गई और उन चारों व्यक्तियों तक भी पहुंची जिनसे राजकुमारी की नगर भर्मण के दौरान उन से मिली थी।वो चारों भी राजमहल में यह देखने के लिए गए कि कोन हे।
राजकुमारी का स्वयंवर ?ओर कहानी यहां तक पहुंची ओर हर बार की तरह भी बेताल उस कहानी को वहीं बीच में रोक लेता है ।बेताल विक्रम से एक सवाल पूछता हे ?बेताल ने राजा से पूछा, “राजकुमारी के सामने चार वर थे, एक चमकती साड़ी बनाने वाला, एक भाषावादी, ओर एक जड़ीबूटी का वैध, और एक वीरबुद्धिमानी।अब आप मुझे यह बताओ कि इन चारो में से राजकुमारी के लिए सर्वश्रेष्ठ वर कौन था? राजकुमारी उन चारों में से किस के गले मे स्वयंवर की माला डाली ? जल्दी बताओ नही तो मैं तुम्हारे हाथ काट दूंगा।
राजा विक्रम बेताल से कहता हे, “कारीगर तो बहुत धनी पुरुष था, राजकुमारी को धन की कोई कमी नहीं थी। इसी कारण राजकुमारी उसको अपना स्वयंवर नहीं बनाएगी। वहीं दूसरा पुरुष तो वाणीवादी है, वह तो संगीत के लिए अच्छा है। तीसरा पुरुष तो वैद्य है, जो एक अच्छा नेक इंसान है, भलाई का काम करता है। और उसकी बराबरी उस वीरसाहसी से की जाए तो राजकुमारी वीर के गले में ही स्वयंवर की माला डालेगी वह उसका चुनाव करेंगी। वह राजा का भी कोई बेटा है ही नहीं वह वीरसाहसी पुरुष राजा का दामाद ही उस राज्य की रक्षा के लिए सही हो सकता है।राजकुमारी का स्वयंवर वो वीरपुरुष ही होगा।महाराजविक्रम का जबाव सुनकर बेताल प्रसन हो जाता हे, लेकिन वह शर्त के मुताबिक हर बार की तरह राजनविक्रम के बोलते ही वह बेताल फिर से उड़ के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक जाता हे।
राजकुमारी का सर्वश्रेष्ठ वर कौन था कहानी से सीख: इंसान को मौका मिलने पर वीरसाहसी और बुद्धिमान जैसे पुरुष को अपने जीवन एक जगह जरूर देनी चाहिए।
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