
राजा चन्दसेन की कहानी: बहुत वर्षों पहले की बात हे सागर तट के किनारे पर एक चन्दवती नाम का राज था। उस राज्य पर राजा चंद्रसेन राज करता था। राजा से मिलने के लिए उस राज्य की प्रजा काफी व्याकुल ओर उत्सुक रहती थी। उस प्रजा में से एक सुशील नाम का नवयुवक। सुशील को रोजगार की आवश्कता थी, इसलिए वो प्रतिदिन राजन से मिलने के लिए उनके राजदरबार में जाता था। लेकिन, अफसोस की बात यह हे कि उसे हर बार राजदरबार के बाहर से सेवक उसे अन्दर जाने नही देते थे। ओर ऐसा होते-होते बहुत समय निकल जाता है। फिर भी वह लड़का हिम्मत नहीं हारता है।
वह हर रोज राजदबार के बाहर हर उस जगह जाता हे जहाँ महाराज जाते है ओर राजा की सवारी जाती हे।एक दिन राजन अपने राज्य का भ्रमण कर अपने सिपाहियो के साथ राजमहल की ओर आ रहे थे। कड़ी तिखी धूप के कारण राजा को तेज प्यास लगने लगती हैं। राजन अपने सिपाहियों से कहता हे कि कहीं से पानी लेकर आओ।सिपाही राजन का आदेश सुनकर पानी लेने जाते है। ढूंढने हैं, लेकिन किसी को भी पानी कहि नही मिलता हे। तभी राजन की नज़र उस राह में खड़े सुशील पर पडती है। सुशील नवयुवक को देखकर उसे राजन बोलते हैं – आपके पास क्या पानी है? सुशील उसी समय राजन को अपने पास थैले में से पानी निकल उसे पिलाता है। और अपने थैले मे से कुछ फल भी निकल कर राजन को देता है।
राजा चन्द्रसेन कहानी भाग – 7
राजन वह मीठे फल खाकर खुश होता है। राजन काफी खुश होते हैं और सुशील से कहते हैं – ‘मैं तुम्हें उपहार देना चाहता हूं कुछ क्या चाहिए बोलो?’राजन चन्द्रसेन के बोलते ही वह तुरन्त से सुशील बोलता है कि राजन में काफी समय से रोजगार की खोज कर रहा हूं, राजन अगर आप मुझे कुछ रोजगर प्रदान कर दे तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी। इतनी बात सुनते ही राजन उसी समय उसे अपने महल में काम दे देता हैं और उस सुशील से कहता हैं कि उसके द्वारा दिए गए पानी से अपनी प्याज बुजाई उस उपकार को वह पूरी जीवन भर कभी नही भूल पाएंगे। समय निकलता जाता है और सुशील अपनी काम की प्रतिभा की वजह से राजन का ख़ास आदमी बन जाता है।
एक रोज राजन सुशील से कहते हैं – ‘हमारे नगर की हालत खराब लग रही हे लोगों के पास काम की समस्या काफी बढ़ गई है, इसके लिए कुछ निवारण करना चाहिए ताकि लोगो के पास काम रहे और वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके’। इतनी बात राजन की सुनते ही सुशील बोलता है – ‘आप फरमान कीजिए राजन क्या करना है।’राजन बोलते हैं – ‘हमारे राज के सागर के बीच एक टापू है, ओर वह टापू काफी सदाबहार ओर हरा-भरा है। अगर उस टापु पर छान-बिन की जाए तो कुछ लोगो के काम करने के अवसर मिल सकते हैं।’ इतनी बात सुनते ही सुशील बोलता है, राजन आप सही कह रहे हो। इतना कहकर सुशील उस टापू पर जाने के लिए निकल लेता हैं।सागर के मार्ग होते हुए टापू पर पहुंचते ही सुशील को पानी में तैरता हुआ एक कमल का फूल नजर आता है। कमल के फूल को देखते ही वह उसे लेने के लिए पानी में छलाँग लगा देता है।
पानी में छलांग ही वह सुशील टापू की राजकुमारी के पास महल में पहुंच जाता है, जहां राजकुमारी अपनी सखियों के साथ और दासियो के साथ संगीतसुन रही होती हैं। राजकुमारी उस सुशील को देख कर बोलती है आप कोन हो? सुशील अपना परिचय बताता है। कुछ देर वे दोनों आपस मे बातचीत करते है। बातचीत करने के बाद राजकुमारी सुशील को भोजन करने के लिए बोलती हैं ।और भोजनग्रहण करने से पूर्व उसे बोलती है कि इस पास के सरोवर में आपको नहाकर आना होगा फिर आप भोजनग्रहन्न कर सकते हो।
उसी समय उनकी बात सुन कर सुशील सरोवर में स्नानं करने के लिए अंदर प्रवेश करता है, वह अपने राजमहल की सभा में प्रवेश कर जाता है। अचानक सभा में सुशील को पाकर चन्द्रसेन भोचकित हो जाते हैं। ओर वह सुशील से उसके बारे में पूछते हैं – ‘सुशील तुम इस समय यहां कैसे आ गए हो? ’सुशील अपने महाराज को पूरी कहानी सुनाता है। सारी कहानी सुनने के बाद राजन बोलते है कि मुझे भी उस सागर वाले टापू पर जाने का उसी समय निर्णन लेते हैं। ओर महल से उस टापु की ओर निकल लेते हे। उस सागर वाले टापु पर पहुंच कर चन्द्रसेन उस सागरटापू पर जीत महारत हासिल कर लेते हैं। ऐसा होते हुए देखकर चन्द्रसेन को राजकुमारी उसी समय सागरटापू का सम्राट घोषित कर देती है।
सागरटापू पाने की खुशी में वह अपने वहाँ की पूर्व राजकुमारी और सुशील का ब्याव करवा देते हैं। ओर महाराजचन्द्रसेन सुशील के पिलाये पानी के उपकार का उसे एक छोटा उपहार अदा करते हैं।ओर यह कहानी सुनाकर बेताल शांत हो जाता है और महाराजविक्रम से पूछता है कि – बताओ कि चन्द्रसेन और सुशील में से सबसे बलवान कौन था?थोड़ी देर राजन चुप रहते है और उसी समय बेताल बोलता है कि बताओ वरना आपके कान काट दूँगा।इतना बात सुनते ही राजन बोलते है कि–सुशील बलवान था।
बेताल पूछता है वह कैसे हुआ?ओर राजाविक्रम जवाब देते है उस बेताल को -कि सुशील ने बिना विचार किये ही उस सागरटापू में तेरते कमल के फूल को देखकर ही पानी में वह छलांग लगा देता है। वहां उस जगह छलांग लगाने पर उसे किसी भी तरह का समस्या का सामना करना पड़ सकता था, जबकि महाराज को उस बात का पता था कि उस टापु के पानी में कोई समस्या नहीं है। सवाल का जवाब सुनते ही बेताल, महाराजविक्रम के कंधे से उड़कर वापस जंगल में जाकर किसी पेड़ की डाल पर उल्टा लटक जाता है।राजन फिर से जंगल मे जाता है और बेताल को ढूढ़कर उसे नीचे उतारकर अपने कंधे पर टाँगकर चल देता हे ओर बेताल कहता है राजन आप एक ओर कहानी सुनो।
राजा चंद्रसेन की कहानी से यह सीख मिलती है?
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है। मानव को कर्म करते रहना चाहिए।
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