21वीं कहानी प्रेम में अंधा कौन? महासम्राट राजा विक्रमादित्य ने योगीपुरुष को अपने दिए वचन को निभाने के लिए फिर एक बार उस बेताल को बरगद के पेड़ से निचे उतारकर अपने कंधे पर लटकाकर चल दिया। इसके बाद राजा योगी के पास चल देते है। रास्ता बहुत लंबा होने के कारण उसे तय करने के लिए बेताल ने राजा को एक फिर नई कहानी सुनानी शुरू की दी। बेताल ने राजा से बोला सुनो …एक समय की बात है।
देवनगर नाम का एक राज्य था उस राज्य मे एक राजा राज करता था। उस देवनगर राज्य के राजा का नाम वीर था। उसी देवनगर राज्य में एक साहूकार भी रहा करता था। उस का नाम शूरसेन था । शूरसेन की एक बहुत ही सुंदर मधुबाला नाम की लड़की थी। मधुबाला जब समय के साथ बड़ी हुई तो साहूकार ने गोपाल नाम के एक बहुत बड़े धनी साहूकार से मधुबाला का विवाह करा दिया। गोपाल, मधुबाला को बहुत दिल से उसे चाहता था, लेकिन अफसोच की बात की मधुबाला, उस गोपाल को बिल्कुल भी नहीं चाहती ओर उसे वह पसंद भी नहीं करती थी।एक दिन गोपाल को अपने किसी काम के कारण उसको अपने राज्य से बाहर जाना था और वह अपने घर से निकल जाता हे ओर उसकी धर्मपत्नी मधुबाला अकेली रह जाती है।
विक्रम बेताल की कहानी प्रेम में अंधा कौन
मधुबाला अपने घर पर समय नहीं निकलने के कारण वह अपने घर से टहलने के लिए कुछ दूर निकली। तभी रास्ते में जाते हुए मधुबाला ने एक पुरोहित के लड़के जय को देखा। जय को देखते ही मधुबाला को उसे देखती रह जाती हे ओर उसे प्रेम हो जाता है। वहीं, दूसरी ओर भी जय भी मधुबाला को देखकर उसके भी मन में चाहत लगी थी।मधुबाला वह से बिना कुछ देर किए राज्य महल के बाग में चली जाती है और उस बाग मे एक मंदिर होता हे वह मंदिर माँ चंडी का होता है। मधुबाला वहा जाती है ओर माँ को प्रणाम करती है। मधुबाला चंडीमाँ से प्रार्थना करती है, “हे माँ, अगर मैं इस जीवन में जय की नहीं हो सकी, तो अगले जीवन में मुझे उनकी ही पत्नी बनाना।”इतना माँ से कहते हुए मधुबाला ने अपना दुपट्टा निकाला और मंदिर के पास पेड़ पर अपने दुपट्टे से फांसी लगाने ही लगती हे तभी उसी समय मधुबाला की सखिया वहां पर आ गई।
एक सहेली ने मधुबाला से कहा, “मधुबाला तुम ये दुपट्टे से क्या कर रही हो।” अपनी सखी की बात पर मधुबाला ने उसे अपनी दिल की बात का राज बताती है। सखी उसकी बात सुनने के बाद कहती है, “तुमको बिल्कुल भी परेशान नही होना चाहिये । जल्द ही मैं उस जय से तुम्हारा परिचय करा दूंगी।” सहेली की बात सुन के मधुबाला रुक जाती हे ओर वह पेड़ से अपना दुपट्टा निचे उतार लेती है।
21वीं विक्रम बेताल की कहानी
दूसरे ही दिन मधुबाला की सखी ने जय के साथ उसका परिचय का प्रबंध किया। मधुबाला ओर जय आपस में एक-दूसरे का परिचय के लिये वे मिलने बाग में पहुंचे। दोनों ने बहुत देर तक एक-दूसरे को निहारते रहे और खुद को वे रोक नहीं सके। जय बेताब होकर मधुबाला की तरफ दौड़ा। जय को अपनी ओर नजदीक आते देख कर मधुबाला की दिल की धड़कने तेज हो जाती हे और बहुत खुशी से उसकी धड़कने रुक गईं। मधुबाला नीचे गिर जाती हे ओर वह मर जाती हर तो उसे देख कर जय भी बहुत दुखी होता है , जिससे उसको दिल का दोरा पड़ गया और वह भी उसी समय मर गया।इस बीच उस जगह गोपाल भी वहां पहुंच जाता है ।
अपनी धर्मपत्नी को दूसरे पुरुष से साथ मरी पडी देख कर बहुत दुखी हुआ। वह मधुबाला को दिल से बहुत चाहता था। इसलिए उससे अपनी धर्म पत्नी का दुख सहा नहीं गया और वह भी मर गया । इतना नजारा देखकर चंडीमाँ स्वयं प्रकट हुईं और उन सबको दोबारा जीवित कर देती है।इतना कहानी सुना कर बेताल ने राजा से बोला, “राजा बताओ इन तीनों में प्रेम में सबसे ज्यादा अंधा कौन था ?”जब राजा विक्रम ने कुछ नहीं कहा तो बेताल ने गुस्से मे आकर फिर कहा, “ जल्दी बताओ राजन प्रेम में अंधा कौन था ? ”बेताल के फिर पूछने पर राजा विक्रम ने जबाव दिया , “सुनो , इन तीनों मे सबसे ज्यादा अंधा प्रेम में गोपाल था।
कारण यह मधुबाला और जय अचानक मिले और वह खुशी के कारण मरा । गोपाल तो शोक में मर गया कि उसकी धर्म पत्नी किसी ओर से प्यार करती और अपने प्यार को पाने की खुशी में मर गई।”राजा का जबाव सुनते ही बेताल ने कहा , “हां राजा , तुमने इस बार भी सही जवाब दिया, लेकिन आप बोले तो मैं चल दिया। इतना राजा को कहकर बेताल फिर एक बार राजाविक्रम के कंधे से उड़कर पास के जंगल मे जाकर एक पेड़ पर फिर उल्टा लटक जाता है।
प्रेम में अंधा कौन कहानी से सीख:
इंसान को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना वह किसी चीज का आदि नहीं होना चाहिए।
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