विक्रम और बेताल की सोलवी कहानी – दगडु का सपना

विक्रम बेताल की कहानी: दगड़ू के सपने

एक बार फिर राजा विक्रम , पिशाच को पेड़ से उतारकर योगी के पास ले जाने के लिये आगे बढ़ने लगते है। इस दौरान पिशाच राजा विक्रम को एक कहानी सुनाने लगता है….

बहुत वर्षों पहले की बात है, एक मायापुरी राज्य था उस राज्य मे एक गोरीपुर नाम का एक गांव था। उस गाँव मे एक महाजन रहता था उस का एक बेटा था उसका नाम दगडु था। वह बहुत सुस्त आलसी और काम करने मे एक नंबर का चोर वह ठिट था। दगडु के इस आलसपन और हर समय निद निकालने की आदत से उस के परिवार वाले बहुत परेशान थे।

बहुत दुखी तो उसकी बूढ़ी मां थी वह माँ की कोई बात नहीं सुनता था ओर हर बार कान के नीचे निकाल देता था। उसके पिता तो गुजर गए थे ओर माँ किसी तरह कपड़े सीलने का काम करके अपने घर का गुजारा करती थी , लेकिन दगडु को अपनी माँ का कोई खयाल नहीं होता हे उसके ऊपर कोई बात का असर नहीं पड़ता। वो तो बस हर समय निद निकलता और सपने देखता था, लेकिन उसकी एक खूबी थी की जब भी कोई सपना देखता तो वह कुछ संकट या किसी घटना से जुड़ा हुआ ही सपना देखता, तो वह कुछ समय के गुजरने के बाद वह सपना सच मे बदल जाया करता था।

विक्रम और बेताल की सोलवी कहानी

एक दिन दगडु आराम से हर रोज की तरह अपनी गहरी मे सो रहा था, तब अचानक उसे एक सपना आता हे कि उसके गाँव मे लोहार के घर मे शादी में चोर आए और शादी का सारा समान वह जेवरात लूटकर ले गए। जैसे ही सुबह होती हे दगडु अपने घर के आगन मे माँ के पास बेठा हुआ होता उसे सपने में देखी लोहार की लड़की उसके घर मे आती हुई नजर आती हे।

वो लोहार की लड़की अपने विवाह का जोड़ा लेने उसकी माँ के पास सिलने को दिया उसको लेने आई थी। उसको को देखते ही दगडु माँ के पास से उठा ओर उसे अपने रात को आये सपने के बारे में उसे बताता है।

लड़की उसकी बात को सुन के परेशान हो जाती हे वह अपनी शादी का जोड़ा लेकर घर जाती है और घर पर जाकर वह सबको उसके आये सपने वाली सारी बात कहती है। सब घर के लोग उसके सपने की बात सुन लेते हैं, लेकिन उसकी बात को अपने दिमाग से निकाल देते ओर वह विश्वास भी नहीं करते और शाम होते ही कुछ लुटेरे शादी के घर मे घुस जाते हे और बरातियों ओर धन दोलट को लूट कर भाग जाते हैं।

यह घटना होते ही उस घर के लोग गुस्सा होकर उस दगडु के घर जाकर उसकी मार पिटाई करते हैं और उसे लुटेरों के साथ वाला मानने लगते हैं। उसके बाद दगडु को कुछ समय बाद और सपना आता है। इस बार दगडु अपने ही मोहल्ले के चौधरी के मकान के अंदर आग का सपना देखता है।

दिन के समय जब दगडु घर के बाहर निकलता है, तो उसे वह चौधरी मोहल्ले में दूसरे के घर से बाहर आते हुए उसे दिखाई देता हे वह अपने घर मे गाये के बछड़े के जन्म की खुशी में मिठाई बांट रहा होता हे और लोगों को उसके घर आने का न्यौता देता नजर आता है। चौधरी को देखते ही दगडु उसके पास भाग कर जाता है और उसे अपने सपने के बारे में बता देता है।

चौधरी दगडु के ऊपर नाराज होकर वहां से चला जाता है, लेकिन वह चौधरी घर को आग से बचाने का बंदोबस्त करता है, फिर भी दगडु का सपना सच साबित हो जाता है और चौधरी का घर आग से जलकर पूरा राख हो जाता है। ऐसा बहुत समय तक चलता रहता है। हर बार दगडु बुरा सपना देखता ओर वह उस सपने से जुड़े लोगों को जाकर उने सतर्क भी करता , लेकिन आखिर में उसे निराशा ही होती ओर उसे लोगों के हाथ की मार खानी पड़ती।

विक्रम और बेताल की कहानी दगडु का सपना

दगडु इस से तंग आकर गांव से चले जाने का फैसला कर लेता है। वो गांव से बहुत दूर दूसरे परदेश में जाता है। वहा अपने पापी पेट के लिए दगडु इधर उधर नौकरी देखने लगता है। उसे एक राजा के राजमहल मे चौकीदारी का काम मिलता है।

दगडु को काम मिलने के कुछ समय बाद ही राजा लव को कल्याणपुर गांव निकलना होता है। कल्याणपुर जाने से एक रात पहले ही दगडु को सपना आता है कि कल्याणपुर गांव में भूकंप आया और वहां कोई जिंदा नहीं बचा सब खत्म हो गया वहा पर । सुबह होते ही राजा लव की पूरी सवारी कल्याणपुर की तरफ जाने के लिये रवाना होने लगती है, तो दगडु जाकर जल्दी से राजा लव के पास पहुंचकर उन्हें रात वाले सपने की बात बताता है और उन्हें कल्याणपुर जाने से रोकता है।

दूसरे दिन राजा लव के पास उसका सेवक आकर उन्हे समाचार सुना देता है कि उस कल्याणपुर में भूकंप आने से वहा कोई जिंदा नहीं बचा पूरा कल्याणपुर श्मशान में बदल गया।सेवक का समाचार सुनते ही राजा लव उस चौकीदार को अपने राज दरबार में आने को बोलते हैं।

कल्याणपुर में आए भयानक भूकंप से राजा को बचाने के लिए वो दगडु को कीमती उपहार देकर उसे अपने यहा से नौकरी से बाहर कर देते हैं। राजा को इतनी कहानी सुनाकर बेताल शांत हो जाता है। कुछ देर बाद बेताल विक्रम से पूछता है – बताओ, ‘दगडु को धन देने के बाद उसे वहा से क्यों निकाल ?’ बेताल का सवाल सुनते ही राजा विक्रम उसे जवाब देते हैं ओर कहते हे कि उसे उपहार राजा लव को भूकंप से जान बचाने के लिए दिए और उसे चौकीदारी करते समय नींद निकालने के कारण उसे नौकरी से बाहर कर दिया गया।

बेताल को अपने सवाल का सही जवाब मिलते ही वह फिर से उड़ कर पास के भयानक जंगल में जाकर एक पेड़ पर उल्टा लटक जाता है और राजा विक्रम उसे दोबारा पकड़ने के लिये निकल जाते हैं।

दगडु का सपना कहानी से क्या सीख मिलती है?

इस कहानी से सीख:दो सीख मिलती है। पहली सीख, काम के समय कोई भी लापरवाही नहीं ताकि कोई गंभीर खतरा नहीं हो। दूसरी सीख, भलाई करने पर बुराई मिल रही हो, तो भी इंसान को भलाई करने का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, कर्म का फल जरूर मिलता है।

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