
विक्रम बेताल की कहानी – असली वर कौन? बेताल को अपने साथ ले जाने की असफल कोशिश के बाद भी राजा ने हार नहीं मानी. ओर राजा फिर से पेड़ के पास जाते है। बेताल को अपने कंधे पर लटका कर ले जाने लगते हे। शर्त के अनुसार बेताल फिर से राजा को एक नई कहानी सुनाना शुरू करता हे – असली पति कौन ?बहुत सदियों पुरानी बात हे। एक गोकुल नगरी हुआ करती थी, उस गोकुल नगरी में अर्जुन नाम का एक राजा राज करता था। राजा बहुत वीर साहसी और दयालु था। उस राजा की एक बेटी थी, ओर उस बेटी का नाम सोनू था। सोनू अपने पिता की तरह बहुत दयालू और सरल सभाव की लड़की थी।
जब वह बड़ी हुई ओर शादी के लायक वह योग्य हुई तो राजा अर्जुन ने उसके लिए एक अच्छे योग्य वर की तलाश शुरू कर दी अपने आसपास के सभी राज्यों में।आसपास के सभी राज्यों के राजा ने अपने राजकुमारों के फोटो भेजने शुरू कर दिये। कई राजकुमार अपने पिताश्री के साथ राजकुमारी से शादी करने की बात के लिए राजा के पास आते है। लेकिन राजा को कोई भी राजकुमार पसंद नहीं आता है।
राजकुमारी से शादी करने के लिए राजा ने एक ही प्रस्ताव रखा था कि उसकी राजकुमारी बेटी का होने वाला वर हर कला में निपुण चाहिए। इस तरह कई महिने बीत जाते है, लेकिन राजा को अपनी राजकुमारी बेटी के लिए योग्य पति नहीं मिलता है।एक दिन जब राजा अपने राज्यदरबार में बैठे हुये थे कि तभी राजमहल में वहां एक राजकुमार प्रवेश करता है और राजा से उसने कहा, “मैं राजकुमारी सोनूदेवी से शादी करने का प्रस्ताव लेकर आया हूं।
यह बात सुनकर राजा ने कहा की – हे राजकुमार, मैं अपनी बेटी सोनू की शादी उस पुरुष से करूंगा जिसमें सभी गुण वह कला हो।
इस बात पर राजकुमार ने राजा को जवाब दिया, “मेरे पास एक ऐसा रथ है जिसमें बैठकर हम पलभर में कहीं भी जा सकते हैं।” यह बात सुनकर राजा ने उस पुरुष से कहा, “ठीक है तुम कुछ दिन के लिये रुक जाओ। मैं अपनी राजकुमारी सोनू से पूछकर तुम्हें बताऊगा।”उसके कुछ समय बाद एक और पुरूष महल मे आता हे वहां आकर उसने राजा ने बोला, “मैं कालदर्शी हूं और तीनो काल की खबर रखता हूं तीनोंकाल देख सकता हूं। मैं यह चाहता हूं कि राजकुमारी सोनू की शादी मुझसे हो। ” राजा ने उस पुरुष को भी सोनू से पूछ कर बताने ओर उसे भी इंतजार करने को बोलता है।कुछ समय निकलने के बाद राजाअर्जुन के पास एक और महाशय उनकी बेटीसोनू का रिश्ता लेकर राजा के यहाँ आता हैं।
असली वर कौन था? विक्रम बेताल की पांचवी कहानी
राजा ने उस महाशय से पूछा कि तुममें ऐसी क्या गुण वह कला हैं, जो मैं अपनी सोनु की शादी तुम्हारे साथ करूं? महाशय ने राजा से कहा, “राजा मैं धनुरविद्या में माहिर हूं। मेरे जैसा इस धनुर्धारी विद्या में आसपास तक कोई नहीं है। राजा ने उस पुरुष से कहा, बहुत अच्छा! महाशय, आप कुछ दिनो तक मेरे जबाव का इंतजार करें। मैं अपनी सोनूबेटी से पूछकर आपको बताऊगा।अब राजा के सामने एक समस्या आ जाती हे कि अब क्या करे। राजा असमंजस में पड़ जाते हे कि तीनों ही राजकुमार बड़े ही अच्छे ओर गुणवान हैं लेकिन क्या किया जाये वह तो तीनों से राजकुमारी सोनू का विवाह नहीं करा सकते है।
अब राजा के सामने एक सवाल आ गया था कि राजकुमारी सोनूबेटी का विवाह किस के साथ होना चाहिए? वहीं दूसरी तरफ एक राक्षस राजकुमारी सोनू पर अपनी नजर लगाए हुये बैठा था और उसे एक दिन वह मौका पाते ही वह राजकुमारी सोनू को लेकर वहां से भाग जाता हे। जब यह सूचना जैसे ही राज्यमहल में फैलती हे तो राजा उसकी रानी और तीनों वह पुरुष भी एक जगह आ जाते है। कालदर्शी पुरुष ने बोला कि वह राक्षस राजकुमारी सोनु को हिमालय पर्वत पर लेकर गया है। इस बात पर दूसरा पुरुष बोलता हे कि, “मैं अपना रथ लेकर अभी आता हूं।
सब उस पर विराजमान होकर हिमालय पर्वत पर चल सकते हैं।”इतने मे उस तीसरे पुरुष ने अपना तरकश निकाला और कहा, “मैं उस भयानक राक्षस को मार दूँगा।”उसके बाद वह सब राजकुमार उस रथ पर विराजमान होकर हिमाचल पर्वत की ओर निकल पड़ते है। जब उनको वह भयानक राक्षस दिखता हे तो वह धनुर्धारी पुरुष उसका मुकाबला कर के उसे उसका वही वध कर देता हे और वो राजकुमारी सोनु को वहां से बचाकर फिर से उसे उस रथ में लेकर राजमहल आ जाते है। ओर इस कहानी को राजा को सुनाने के बाद बेताल राजा से कहता हे कि – राजा राजकुमारी सोनु को बचाने में उन तीनों पुरुषो का अपना अपना योगदान था। तो आप अब मुझे यह बताओ कि राजकुमारी की शादी किससे होनी चाहिए?
राजा मैंने सुना आप हमेशा न्याय करते हो। जल्दी बताओ वरना आपका सिर फोड़ दूंगा।इस बात पर राजा बेताल को उत्तर देते हे कि – राजकुमारी सोनु का विवाह उस धनुर्धारी पुरुष से होना चाहिए, क्योंकि उसने उस भयानकराक्षस से युद्ध किया ओर राजकुमारी सोनु को बचाया । और बाकी उन दोनों पुरुषों ने केवल मार्ग दिखाया ओर उसकी मदद की।बस फिर जैसे ही राजा ने बेताल को बोला ओर बेताल जबाव सुनकर शर्त के अनुसार उसकी पीठ से उड़ कर पास के पेड़ पर जाकर उल्टा लटक जाता हैं।
असली वर कौन था? कहानी से सीख:
मुश्किल समय में साहस ओर हिम्मत ही काम आती है।
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