खुशी वहीं पर है जहां मन प्रसन्न हो – एक बुढ़िया थी जिसके एक पुत्र था। दोनों ही निर्धन थे और बहुत ही कठिनाई में जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन बुढ़िया के पुत्र
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खुशी वहीं पर है जहां मन प्रसन्न हो – एक बुढ़िया थी जिसके एक पुत्र था। दोनों ही निर्धन थे और बहुत ही कठिनाई में जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन बुढ़िया के पुत्र
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